व्याख्या: क्या सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रपति को भी दे सकता है निर्देश? गवर्नर वीटो मामले के बाद यह सवाल चर्चा में आया है कि क्या देश की सर्वोच्च अदालत, राष्ट्रपति को भी किसी मामले में निर्देश देने का अधिकार रखती है।

- Athulya K.S
- 14 Apr, 2025
सुप्रीम कोर्ट बनाम राष्ट्रपति: क्या कोर्ट दे सकता है राष्ट्रपति को निर्देश?
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि राज्यपाल विधानसभा से पास किए गए विधेयकों को अनिश्चितकाल तक लंबित नहीं रख सकते। साथ ही, राष्ट्रपति को यह निर्देश भी दिया गया कि वे राज्यपाल द्वारा उनके विचार के लिए भेजे गए विधेयकों पर 3 महीने के भीतर निर्णय लें। यह पहली बार है जब सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति के लिए किसी निर्णय पर समय सीमा तय की है, जिससे संवैधानिक व्यवस्था को लेकर कई सवाल खड़े हो गए हैं।
केंद्र सरकार तैयार कर रही याचिका
‘द हिंदू’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को चुनौती देने के लिए एक याचिका तैयार कर रही है। सरकार का तर्क है कि राज्यपाल और राष्ट्रपति जैसे संवैधानिक पदों के कार्यों के लिए समय सीमा तय करना न्यायपालिका की सीमाओं से बाहर है। इससे पहले कभी भी अदालत ने राष्ट्रपति को सीधे निर्देश जारी नहीं किए थे।
संवैधानिक संतुलन पर बहस
राष्ट्रपति देश का सर्वोच्च संवैधानिक प्रमुख होता है और वह प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद की सलाह पर कार्य करता है। ऐसे में यदि न्यायपालिका उसे कोई निर्देश देती है, तो यह सवाल खड़ा होता है कि क्या अदालत कार्यपालिका के क्षेत्र में हस्तक्षेप कर रही है। यह स्थिति न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच की संवैधानिक रेखा को धुंधला कर सकती है।
अगर राष्ट्रपति आदेश न माने तो?
भारतीय संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति को उनके आधिकारिक कार्यों के लिए व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता। ऐसे में यदि राष्ट्रपति सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का पालन नहीं करते, तो कानूनी और संवैधानिक संकट उत्पन्न हो सकता है। आलोचकों का कहना है कि हालांकि सुप्रीम कोर्ट का उद्देश्य राज्यपाल की अनियंत्रित शक्तियों पर लगाम लगाना हो सकता है, लेकिन इसका असर राष्ट्रपति की गरिमा और स्वायत्तता पर भी पड़ सकता है, जिससे भविष्य में न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच टकराव की आशंका बढ़ जाती है।
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